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चोला

लोक-लाज का चोला फेंक दो उतार के कौन देख रहा है तेरे अश्रु के धार को सबकी सोचते-सोचते आधी जंग हार गयी ख़ुद को देखो तो अभी भी ना देर हुयी उठ, बना फिर से अपनी पहचान... तभी आएगी तेरे लब ...