चोला
लोक-लाज का चोला फेंक दो उतार के
कौन देख रहा है तेरे अश्रु के धार को
सबकी सोचते-सोचते आधी जंग हार गयी
ख़ुद को देखो तो अभी भी ना देर हुयी
उठ, बना फिर से अपनी पहचान...
तभी आएगी तेरे लब पे मुस्कान...!!!!
लोक-लाज का चोला फेंक दो उतार के
कौन देख रहा है तेरे अश्रु के धार को
सबकी सोचते-सोचते आधी जंग हार गयी
ख़ुद को देखो तो अभी भी ना देर हुयी
उठ, बना फिर से अपनी पहचान...
तभी आएगी तेरे लब पे मुस्कान...!!!!
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